दोस्तों हम आज बात करेंगे; होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है? और होली कब मनायी जाती है? होली कैसे मनाते है? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, दोस्तों हिंदू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार होली होती है. और यह एक अधर्म पर धर्म की जीत की कथा सुनाती है। यानी बुराई पर सच्चाई की जीत की कहानी है।
और होली का त्योहार भारत और पूरी दुनिया में इसे त्योहार को रंगों के साथ मनाया जाता है। भारत का लोकप्रिय त्यौहार होली है जिसमें लोग एक दूसरे पर रंग लगाकर इस त्यौहार को खुशी से मनाते हैं। और घर में अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर इस होली दहन को करते है और इस होली के त्योहार को मनाते हैं।
Holi Ka Tyohar एक दूसरे पर रंग डालकर खुशी मना कर इस त्यौहार को भारत में मनाया जाता है यह त्यौहार बहुत ही वर्षों से मनाया जाता है। भारत ही नहीं और विदेशों में इस होली के त्यौहार को बड़े धूमधाम से हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं।
भारतीय परंपरा के अनुरूप होली का त्योहार इन देशों में प्रवासी भारतीय जहां जाकर बसे हुए हैं, वह होली के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
रंगों का त्योहार होली कब, क्यों, और कैसे,कहां मनाई जाती है? |
रंगों का त्योहार होली कब है, क्यों,
और कैसे,कहां मनाई जाती है?
होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
( Why is the festival of Holi celebrated )
होली जिसे कई तरह के रंगों का त्योहार माना जाता है। भारत में इसे कई राज्यों में मनाया जाता है। जैसे राजस्थान गुजरात आदि राज्यों में होली बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। घर में कई तरह की मिठाईया बनाई जाती हैं। होली में राजस्थान में चंग के साथ संगीत के साथ मनाई जाती है।
होली हर साल मार्च महीने में आने वाली पूर्णिमा के दिन फाल्गुन के महीने में मनाए जाती है मथुरा वृन्दावन होली का त्यौहार सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाई जाती हैं। भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह ही, होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होली में रंग क्यों लगाया जाता है? (Why color is applied in Holi)
ऐसे शुरू हुआ होली पर रंग लगाने का चलन
जब भगवान श्री कृष्ण वह राधा और अन्य गोपियों को तरह-तरह के रंगों से रंग रहे थे, तो नटखट श्री कृष्ण की यह प्यारी शरारत सभी ब्रजवासियों को बहुत पंसद आई। और माना जाता है, कि इसी दिन से होली पर रंग खेलने रंग लगाने का प्रचलन शुरू हो गया और इसीलिए होली पर रंग-गुलाल खेलने लगाने की यह परंपरा शुरु हुई और आज भी निभाई जा रही है।
होलिका का दहन क्यों किया जाता है?
(Why is Holika burnt)
होलिका का दहन क्यों किया जाता है? |
होली के त्योहार को लेकर सबसे प्रचलित है। भगत प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी। राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद, और उसकी बहन होलिका थी।
और प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वहीं, हिरण्यकश्यप भगवान नारायण को अपना घोर शत्रु मानता था।और पिता हिरण्यकश्यप के लाख मना करने के बावजूद भगत प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता रहता था।
और हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को ये वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती है। और एक दिन गुसे में हिरण्यकशिपु ने ये आदेश दिया कि होलिका भगत प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठे जाये,
और उसे भस्म करें, और भवान कृष्ण की वजह से आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होलिका (होली) को जलाई (दहन) जाती है।
FAQ
Q. होलिका और राक्षस हिरण्यकश्यप के पिता का क्या नाम था?
Ans. राक्षस हिरण्यकश्यप और होलिका के पिता का नाम कश्यप ऋषि था।
Q. राक्षस हिरण्यकश्यप और होलिका के माता का क्या नाम था?
Ans. राक्षस हिरण्यकश्यप और होलिका के माता का नाम दिति था.
Holi Ka Tyohar कितने देशों (Countries) में मनाई जाती है?
विदेशों में होली India, Nepal, Pakistan, Bangladesh, Sri Lanka और Mauritius में भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होली मनाई जाती है। और प्रवासी भारतीय जहाँ-जहाँ जाकर बसे है वहाँ वहाँ होली की परंपरा पाई जाती है। जहा हिन्दु धर्म को मानने लोग है उन देशों में जैसे कैरिबियाई देशों (Countries) में बड़े धूमधाम और मौज-मस्ती के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है।
रंग खेलने से क्या होता है? रंग डालने से क्या होता है?
रंग खेलने से आप मस्ती और उमंग से भर जाते है। और अलग अलग रंग आप की उदासी और तनाव को दूर कर देते हैं. और ढेर सारे लोगों से मेल मुलाकात के कारण मन की कड़वाहट और नफ़रत भी दूर हो जाती है. सुगंध और रंग मिलकर मन और शरीर को नयी उत्साह उमंग भर देते हैं.
होली के दिन किसकी पूजा की जाती है?
(Who is worshiped on the day of Holi)
भारत में होली का त्योहरा (Holi Festival) हर्ष और उल्लास का त्योहार माना जाता है और इस दिन होलिका की पूजा नही की जाती है। शास्त्रों के अनुसार होली के दिन होलिका (Holika) की नहीं बल्कि अग्नि देव की पूजा की जाती है। क्योंकि अग्नि देव ने ही प्रह्लाद को भगवान विष्णु के कहने पर जलने से बचाया था। इस कारण होली के दिन अग्नि देव की पूजा की जाती हैं।
होलिका कैसे बनाई जाती है? (How is Holika made)
होलिका पूजा विधि और सामग्री:- लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी करके उसका पूजन करने से पहले हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला भी पहनाएं। होलिका इस तरह बनाते है।
होलिका में क्या क्या डालना चाहिए?
(What should be put in Holika)
अग्निदेव उत्पन होने के बाद आप होलिका के आप परिक्रमा करते समय होलिका में चना, मटर, गेहूं,गोबर से बनी बड़कुले जो घर में बनाये जाते है और अलसी डालना चाहिए। होलिका में कर्पूर भी डालना चाहिए। इससे होली जलते समय कर्पूर का धुआं वातावरण की पवित्रता बढ़ता देता है। अपने हाथों से गोबर के कंडे बनाएं और इन कंडों को होली में डालना चाहिए।
होलिका दहन की कहानी क्या है?
( What is the story of Holika Dahan )
होली क्यों मनाया जाता है? (Why is Holi celebrated?)
बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत में एक राज्य का राजा था जो एक दानव की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मृत्यु का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने उसे मार दिया था। इसलिए हिरण्यकश्यप ने सत्ता पाने के लिए राजा ने वर्षों तक प्रार्थना और तपस्या की।
अंत में भगवान शंकर ने उन्हें एक वरदान दिया। लेकिन इसके साथ ही हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानने लगा और अपने लोगों से उसे भगवान की तरह पूजने को कहा।
क्रूर राजा हिरण्यकश्यप के पास प्रहलाद नाम का एक जवान बेटा था, जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। प्रहलाद ने कभी अपने पिता के आदेश का पालन नहीं की और प्रहलाद हमेसा भगवान विष्णु की पूजा करता रहा।
राजा हिरण्यकश्यप इतना कठोर था एक दिन उसे गुस्सा आया और उसने अपने ही बेटे को मारने का फैसला किया, क्योंकि प्रहलाद ने उसने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था।
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तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से पूछा, जो आग से प्रतिरक्षित थी और उसे वरदान था, उसकी गोद में प्रहलाद के साथ अग्नि की एक चिता पर बैठना था। हिरण्यकश्यप उनकी बहन होलिका की योजना भक्त प्रहलाद को जलाने की थी।
लेकिन उनकी योजना प्रहलाद के रूप में नहीं चली,और भक्त प्रहलाद जो भगवान विष्णु के नाम का पाठ कर रहे थे, सुरक्षित रह गए थे, लेकिन होलिका जलकर राख हो गई।
इसके बाद, भगवान विष्णु ने नरसिह रुप में आकर हिरण्यकश्यप का वध किया कर दिया। तब से आज तक होलिका दहन किया जाता है। जो बुराई पर जित की कहानी हैं।
होली का त्योहार अपने साथ क्या संदेश लेकर आता है?
(What message does the festival of Holi bring with it)
होली का त्योहार सबके के साथ और सब के साथ हसी खुसी से रहना, और एक दूसरे के साथ रंगो की तरह घुल जाना, और बुराई पर अच्छाइ की जित का सन्देश देती हैं।
रंगो की होली कब से मनाया जाता है? (When is Holi of colors celebrated)
रंगो की होली कब से मनाया जाता है |
भगवान कृष्ण से जुडी कहानी है :-
होली सबसे पुराने हिंदू त्योहारों में से एक है और यह संभवत: ईसा के जन्म से कई शताब्दियों पहले शुरू हुआ था। इसके आधार पर, होली का उल्लेख प्राचीन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है,
जैसे कि जैमिनी का पुरवामीमांसा-सूत्र और कथक-ग्राम-सूत्र। आज भी दुनया में यहां तक कि प्राचीन भारत के मंदिरों की दीवारों पर होली की मूर्तियां हैं।
यह भगवान कृष्ण से जुडी कहानी है। यह माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को रंगों से बहुत प्यार था और भगवान श्री कृष्ण रंगों के साथ होली मनाते थे। और इसलिए वे सब को लोकप्रिय थे। वह वृंदावन और गोकुल में अपने दोस्तों के साथ रंगों की होली खेलते थे।
गाँव भर में प्रैंक किया और इस तरह इसे एक सामुदायिक कार्यक्रम बना दिया। यही वजह है कि आज तक वृंदावन में और पुरे भारत में होली का उत्सव मनाया जाता है।
होली एक वसंत ऋतू महीने में आने वाला त्योहार है। जो सर्दियों को अलविदा कहता है। कुछ हिस्सों में ये उत्सव वसंत की फसल के साथ भी जुड़े हुए हैं। जब नई फसल से भरे हुए अपने भंडारो को देखने के बाद किसान रंग के साथ होली को अपनी खुशी के रूप में मनाते हैं। इस वजह से, होली को ‘वसंत महोत्सव’ और ‘काम महोत्सव’ के रूप में भी जाना जाता है।
होली के रंग कैसे बनते थे। (How were the colors of Holi made)
पुराने जमाने में होली के रंगों को ’टेसू’ या ’पलाश’ के पेड़ से बनाया जाता था। और गुलाल के रूप में इन रंगो को जाना जाता था। पहले के दौर में रंग त्वचा के लिए बहुत अच्छे हुआ करते थे। क्योंकि इन्हें बनाने के लिए किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता था।
लेकिन त्योहारों की सभी परिभाषाओं के बीच, समय के साथ रंगों की परिभाषा बदल गई है। आज के समय लोग रसायनों से रंग बनाते है। और रसायनो से बने कठोर रंगों का उपयोग करने लगे हैं। आज के समय होली खेलने के लिए भी तेज रंगों का उपयोग किया जाता है, जो की खराब स्किन के लिए खराब होता हैं।
और यही कारण है कि बहुत से लोग इस होली का त्योहार को मनाने से बचते हैं। हमें इस पुराने होली के त्योहार का आनंद उत्सव के साथ और सच्ची भावना के साथ मनाना चाहिए।
रंगों की होली कितने दिन मनाई जाती है?
(How many days Holi is celebrated)
होली का त्यौहार पुरे फागुन के महीने मनाते है। होली एक दिन का त्योहार नहीं होता है जैसा कि भारत के अधिकांश राज्यों में मनाया जाता है, होली का त्यौहार यह तीन दिनों तक कुछ राज्यों में मनाया जाता है। और कुछ राज्यों में सात दिनों तक होली मनाते है।
राजस्थान में सात दिनों तक होली के त्यौहार का संगीत के साथ पुरे गांव मिल कर इस होली के त्यौहार मनाते है। जिसे घिंदड़ के नाम से जाना जाता है।
होली का त्योहार 2022 में कब है? (When is the festival of Holi in 2022)
होली का त्योहार हिंदू चंद्र कैलेंडर माह के अंतिम पूर्णिमा के दिन होता है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम है: पहले दिन, परिवार एक पवित्र अलाव के लिए एकत्र होते हैं। दूसरे दिन, रंगों का त्योहार मनाया जाता है। 2022 में, होली शनिवार 17 मार्च से शुरू होती है और 19 मार्च को समाप्त होती है।
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